जय सियाराम ©दीप्ति सिंह

 राम नाम रट रे मना, राम जगत आधार।

जग में प्रभु के नाम की,महिमा अपरंपार ।।


निर्मल मन से कीजिये, सुमिरन बारम्बार ।

राम करेंगे आपको,भव सागर से पार।।


राम नाम औषधि बड़ी, कहता है संसार । 

पीड़ा मिट जाती सभी, उर आनंद अपार।।


उर में राम बसें सदा,मुख से जपते नाम ।

मिल जाए संतसंग जो, गृह भी बनता धाम ।।


पाप मिटे शत जन्म के, प्रभु हैं नाम अधीन ।

भक्त वही बलवान है, नाम रहे तल्लीन ।।


ताप त्रिगुण सागर बड़ा, इसमें नौका राम ।

जग की आशा त्यागिये, हरि आएँगे काम ।।


दीया के प्रभु साँवरे,राम कहो या श्याम ।   अंतर उजियारा करे, अंतिम है विश्राम ।।


©दीप्ति सिंह 'दीया'

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत उत्कृष्ट, सटीक एवं सार्थक दोहे

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  2. बहुत सुन्दर रचना🙏🙏
    जय श्री राम🙏🙏

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    उत्तर
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका तुषार 💐😊
      जय श्री राम 🙏🏼💐

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  3. अत्यंत सुन्दर दोहावली दीदी 🙏🍃

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर रचना 🙏🙏 जय श्री राम

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  5. वंदनीय दोहावली🙏 जय श्री राम

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