कविता- रामचन्द्र ©अंशुमान मिश्र

नमन, माँ शारदे 

नमन, लेखनी 



जय  जय   मर्यादा  पुरुषोत्तम ,

जय हे सीतापति! नमामि त्वम,

जय    दशरथनंदन   अवधेश्वर,

हे राम ! नमामि नमामि  नमम्।।


तुमने  मानव   अवतार  लिया,

प्रभु कितनों का उद्धार किया।

मानव जीवन परिभाषित कर,

इस भवसागर से  पार किया।।


हे  कौशल्या  के लाल सुनो,

हे दश आनन के काल सुनो। 

हे  जग अधिपति अन्तर्यामी,

हे सौम्यचारित्र, विशाल सुनो।। 


हो  गई  धरा  दूषित  सबको,

आसुरी  भाव   ही   भाए  हैं ।

इस घृणित जगत में प्रभु कोई

ना  अपना, सभी   पराए  हैं ।।


मानवता  के  सब नियमों की,

हर दिन अब अरथी उठती है ।

लज्जा, दया, क्षमा, अब  सब

बस रोतीं, पल पल घुटती हैं।।


सो   सुनो   धनुर्धारी   प्रचंड,

है समय बुरा यह ,करो अंत!!

जय जय जय जय हे शंकरेश,

जय रामचन्द्र जय रामचन्द्र!!


जय रामचन्द्र जय रामचन्द्र!!!

जय रामचन्द्र जय रामचन्द्र!!!

©अंशुमान मिश्र 

टिप्पणियाँ

  1. अत्युत्तम शब्दावली से सुसज्जित मनहर कविता

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  2. जय श्री राम🙏 सुंदर भावपूर्ण रचना

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  3. अत्यंत सुन्दर भक्ति रचना 🙏🍃

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  4. बहुत सुन्दर कविता👌
    जय श्री राम 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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