नहीं ©परमानन्द भट्ट
बातें करता अगर वो हवाई नहीं
देनी पड़ती उसे फिर सफ़ाई नही
नूर उसका बसा जब नयन में मेरे
कोई तस्वीर दूजी समाई नहीं
अब ख़ुदा ही करेगा तेरा फैसला
झूठी चलती वहाँ पर गवाही नहीं
रूठ कर चल दिये मुझसे मेरे सनम
बात दिल की जो मैंने बताई नहीं
साथ ग़म के ही मेरा गुजारा हुआ
इस ख़ुशी से हुई क्यूँ सगाई नहीं
मेरी बातों पे थोड़ा यकीं भी करो
"है वहम की जहाँ में दवाई नहीं"
ये 'परम' तो बसा है नयन में तेरे
ये अलग बात देता दिखाई नहीं
©परमानन्द भट्ट
वाह बेहतरीन गज़ल सर 👏👏👏
जवाब देंहटाएंहर शेर जबरदस्त 👌👌🌹🌹
बेहद उम्दा ग़ज़ल सरजी👌👌🙏
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल सर l 🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन बहुत उम्दा ग़ज़ल सर💐🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
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