शिव ©अंजलि

 जचे विकराल रूप भयानक जचे रूप मनहर में,

जचे है भस्म सर्प चंदा जचे कैलाशी बाघंबर में।


जटाओं में सजी है गंगा ,त्रिशूल सदैव रहे कर में,

तेज़ मुख पर उतना जितना साथ सौ दिनकर में।


रीझे आक धतुर श्रीफल पर पिए भांग खप्पर में,

भाव शिव का रहे एक सा दरिद्र धनी के अंतर में।


महाकाल बन रहे उज्जैन,रहे ऊंचे कैलाश सुंदर में,

रहे वहांँ जहाँ मिले भक्ती प्रेम वास बना ले खंडर में।


बसे शिव में है सब इकाई, हर शून्य बसे शंकर में,

बसे 'जीआ' की हर श्वास में,बसे हर कण कंकर में।

©अंजलि

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही उत्तम रचना जय महाकाल 🙏

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  2. अत्यंत सुंदर भावपूर्ण शिव स्तुति 🙏🌹

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  3. अति सुंदर एवं भावपूर्ण स्तुति 💐🙏🏼

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  4. अत्यंत सुंदर रचना, नमः शिवाय 💙✨🙏

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  5. अत्यंत उत्कृष्ट भावपूर्ण स्तुति 😊🌹

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  6. बहुत बहुत सुन्दर रचना 🙏
    ओम नमः शिवाय 🙏

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  7. सुन्दर रचना दीदी
    जय श्री महादेव 🙏🍃

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  8. ॐ नमः शिवाय🙏 स्तुत्य रचना

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