चौपैया छंद - शिवशंकर ©रजनीश सोनी
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
जय जय शिवशंकर, तुम अभयंकर,
शरणागत सुखरासी।
आसन बाघंबर, श्रृष्टि सृजनकर,
जय कैलाश निवासी।।
जय जय भूतेश्वर, शंभु महेश्वर,
जय जय हे अविनाशी।
जय जय घृष्णेश्वर , जय प्रथमेश्वर,
जय शिवलिंगम काशी।।
भूतादिक सङ्गा, भङ्ग तरङ्गा,
गण गणाधि सब साजे।
औघड़ बेढंगा, जस भिखमङ्गा,
कर वरदान निवाजे।।
गलहार भुजङ्गा, हर हर गङ्गा,
जटा मध्य में राजें।
गिरिजा वामाङ्गा, रुचि भस्माङ्गा,
डम डम डमरू बाजे।।
जय हो त्रिपुरारी, संकट हारी,
प्रखर त्रिशूल धरन्ता।
जय ताण्डव कारी, कष्ट विदारी,
दुख उन्मूलक संता।।
जय हो अविकारी, वृषभ सवारी,
शैल-सुता प्रिय कन्ता।
सु- पिनाक प्रहारी, भव भय हारी,
कृपा करो भगवंता।।
©रजनीश सोनी
बहुत सुन्दर स्तुत्य छंद
जवाब देंहटाएंअद्भुत अद्वितीय छंदबद्ध शिव स्तुति सर 🙏🌹
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली स्तुति 💐🙏🏼
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