हिन्दी ©लवी द्विवेदी
है हिंदी नमन प्रथम तुमको।।
रस छंद अलंकृत शोभा तुम,
तुम स्वर रामायण गीता हो।
तुम अविरल मधुर मनोहरतम,
वर्णो की प्रथम पुनीता हो।
हो चार चरण की प्रतिभा तुम,
दो समतुकांत लयबद्ध गीत।
लघु गुरु भाई, सरिता सी यति,
रूपक का जैसे यमक मीत।
गति रुष्ठ कभी ना हो पाती,
है ज्ञात रोष में नम तुमको।
है हिंदी नमन प्रथम तुमको।।
सोलह मात्रा चौपाई में,
गण आठ गिनाए सुंदरतम।
मनभावन दोहा नृत्य गान,
सोरठा सुजान मनोहरतम।
कुंडलिया छप्पय उल्लाला,
अनुप्रास छटा दर्शाती है।
चामर, प्रमाणिका, तोटक लय,
जब सरल सिंधु हो जाती है,
तोमर, भुजंग, कृति नमन करे...
ब्रज, खड़ी, बघेली, क्रम तुमको।
है हिंदी नमन प्रथम तुमको।।
तुम शिल्प काव्य तुम चंदन सम,
तुम शिलालेख तुम पत्र रूप।
तुम शब्द समागम सुंदरता
हो तुम अजेय अनुपम अनूप।
तुम सभ्य शिल्प में रमीं हुई,
तुम रूप अलौकिक माता हो।
व्यंजन के क्रम में सधी हुई
स्वर की स्नेहिल दाता हो।
हे भाषा भाव धारिणी माँ,
मैं मानू श्रेष्ठ परम तुमको।
है हिंदी नमन प्रथम तुमको।।
©लवी द्विवेदी 'संज्ञा
हिंदी भाषा को समर्पित अत्यंत उत्कृष्ट सृजन बेटा 👌👌❣️❣️
जवाब देंहटाएंहिंदी भाषा पर अत्यंत भावपूर्ण सृजन🙏
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