ग़ज़ल ©सौम्या शर्मा
आज याद आ गया मुस्कुराना तेरा।
मुस्कुराकर मेरा दिल चुराना तेरा।
बस ज़रा सी झलक देखने को मेरी,
जाने कितने बहाने बनाना तेरा।
सर्द मौसम हो या गर्म हो दोपहर,
रोज मेरी गली आना- जाना तेरा।
रूठ जाऊं कभी तो मनाने मुझे,
मुस्कुरा हक जताकर मनाना तेरा।
मैं ये कैसे कहूँ पास तू था नहीं,
मेरे दिल में रहा है ठिकाना तेरा।
खो भी जाऊं कभी, ढूंढ लाना मुझे,
फ़र्ज़ है मुझको, मुझसे मिलाना,तेरा।
तू सहर है मेरी तू ही शब है मेरी,
वास्ता मुझसे है कुछ पुराना तेरा।
याद आता है सिरहाने पर बैठना,
बैठकर सारी बातें सुनाना तेरा।
वो मेरा देखना एकटक सा तुझे,
मेरी आंखों से आंखें मिलाना तेरा।
है तेरा शुक्रिया सुन ऐ मेरे खुदा,
नेमतों का जो बरसा खजाना तेरा।
©सौम्या शर्मा
बहुत उम्दा ग़ज़ल maam 👌👌🙏
जवाब देंहटाएंअहा बहुत ही खूबसूरत रूमानी ग़ज़ल बेटा 🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ग़ज़ल🙏
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐
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