जब तुम मिले ©सम्प्रीति

नमन, माँ शारदे 

नमन, लेखनी 



चाँद भी फीका लगता है, पता चला 

जब तुम मिले,

रोशनी से ज्यादा कोई चमकता है, पता चला

जब तुम मिले,

तुम मिले तो पता चला

मन ही मन मुस्कुराना क्या होता है,

खुद में शर्माना भी कुछ होता है,


प्यार से भी प्यारा कोई होता है, पता चला

जब तुम मिले,

तुम मिले तो समझ आया

बैठे बैठे ख्वाबों में खो जाना क्या होता है,

खुद ही खुद से बतियाना क्या होता है,


अंधेरे भी खुबसूरत होते हैं, अहसास हुआ

जब तुम मिले,

हवाओं में संगीत होता है, पता चला

जब तुम मिले,

तुम मिले तो पता चला

संगीत में किसी का झलक जाना क्या होता है,

किसी में किसी का चेहरा भी नज़र आता है,


किसी को पल भर देखना भी सुकून होता है,पता चला

जब तुम मिले,

तुम मिले तो पता चला

इंतज़ार का भी एक अलग मजा होता है,

किसी से दूर रहना भी सजा होता है,


बेवजह बहाने बनाना भी कुछ होता है, पता चला

जब तुम मिले,

तुम मिले तो पता चला

आंखों आंखों में भी बहुत कुछ होता है,

फिर शरमा कर नज़रें झुकाना भी कुछ होता है,


खुद में किसी का अहसास बसता है, पता चला

जब तुम मिले,

जब तुम मिले तो पता चला

किसी में बेपनाह डूब जाना क्या होता है,

इश्क सा गहरा दरिया भी कुछ होता है,


पूरी कायनात छोड़ उस एक में बस जाना कैसा होता है

पता चला जब तुम मिले,

बस उस एक में खोते चले जाना भी कुछ होता है

पता चला जब तुम मिले,

जब तुम मिले तो पता

बिन बंधन किसी से बंध जाना क्या होता है,

प्यार सा अहसास भी कुछ होता है,


प्यार क्या होता है पता चला जब तुम मिले,

जब तुम मिले तो पता चला प्यार भी कुछ होता है,

जब तुम मिले..

©सम्प्रीति

टिप्पणियाँ

  1. खूबसूरत एहसासों बहुत ही खूबसूरती से पेश किया है आपने डियर ❣️❣️❣️
    बेहतरीन सृजन 👌👌👌❣️❣️

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