गीत - श्रीकृष्ण © हेमा काण्डपाल 'हिया'
नमन, माँ शारदे
नमन, लेखनी
आधार छंद - विधाता
मात्रा - 28,
१ली , ८वीं, १५ वीं, २२ वीं मात्रा लघु अनिवार्य
१४, १४ पर यति
मुकुल,पल्लव, कुसुम, भौरे, परस्पर मुस्कुराते हैं,
अलौकिक तेज ऐसा के, सितारे झिलमिलाते हैं।
बनाया वेश वामन का, त्रिविक्रम रूप दिखलाया,
'बली' तुम दंभ को त्यागो, यही संदेश पहुँचाया,
रखा पग दम्भ में वामन, बली पाताल पहुँचाए,
हुई नभ गर्जना सुनकर, सभी जन थरथराते हैं।
पढ़ाया सार द्वापर में, मदन कौंतेय को गीता,
धनुष त्रेता धरा कर में, छुड़ाई राम ने सीता,
कहे मीरा तुम्हें गिरधर, तुम्ही राधा-रमण कान्हा,
तुम्हारी ज्योति से तारे व सूरज जगमगाते हैं।
बनूँ मैं श्याम की प्यारी, उन्हीं का नाम मैं ध्याऊँ,
निरंतर कृष्ण लीला का, मनन करती चली जाऊँ,
वही मुरलीमनोहर हैं, वही माधव वही मोहन,
उन्हीं से गीत हैं मुखरित, गगनचर चहचहाते हैं।
© हेमा काण्डपाल 'हिया'
बहुत सुन्दर हिया
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर छंदबद्ध सृजन दीदी, जी श्री कृष्ण।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत👌🙏
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्णा