गीत - प्रियवर ©सौम्या शर्मा

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी


तुमको रखकर केन्द्र बिन्दु में,

मैंने प्रेम जिया है प्रियवर,

जग कहता है निपट बांवरी,

मैंने प्रेम किया है प्रियवर।


विकट विधाता धैर्य परीक्षा,

लेकिन फिर भी धैर्य न जाता,

जीवन जितने प्रश्न पूछता,

उतने उत्तर मैं ले आता।

संघर्षों के प्याले में भी,

मैंने प्रेम पिया है प्रियवर।

तुमको रखकर केन्द्र बिन्दु में,

मैंने प्रेम जिया है प्रियवर।


तुमसे जुड़े नेह के धागे,

मैंने संभाले रक्खे हैं,

मैंने तुमको मन में रक्खा,

फिर उस पर ताले रक्खे हैं।

कटुता जग को लौटा दी है,

मैंने प्रेम लिया है प्रियवर।

तुमको रखकर केन्द्र बिन्दु में,

मैंने प्रेम जिया है प्रियवर।

©सौम्या शर्मा

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत सुंदर, भावपूर्ण गीत दीदी।

    जवाब देंहटाएं
  2. अहा अहा बहुत ही सुंदर प्रेमपूर्ण, भावपूर्ण गीत बेटा 👌👌👌❤❤❤🌺🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  3. अत्यंत उत्कृष्ट भाव समाहित किये हुए हृदयस्पर्शी गीत सृजन 💐

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत -बहुत धन्यवाद आपका दीप्ति जी☺️🌹🌹

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. बहुत -बहुत हार्दिक आभार तुषार भैया☺️🌹🌹

      हटाएं
  5. अत्यंत सुंदर तथा भावनापूर्ण गीत❣️✨🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. अत्यन्त ही सुन्दर गीत

    जवाब देंहटाएं
  7. इतना सुंदर गीत.... सब प्रेम हो गया है

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कविता- ग़म तेरे आने का ©सम्प्रीति

ग़ज़ल ©अंजलि

ग़ज़ल ©गुंजित जैन

पञ्च-चामर छंद- श्रमिक ©संजीव शुक्ला 'रिक्त'