मोरे सँवरिया ©सरोज गुप्ता
मइया से सिकवा करूँगी ना तोरी,
कान्हा करो नाहीं बरजोरी,
रोको नाहीं मोरी डगरिया ।
छेड़ो नाहीं मोरे सँवरिया ।।
जब भोरहरी में जाऊँ मैं यमुना के तट पर,
तबहीं छेड़े मोहें तुम ओ काहें को गिरधर,
मारे कंकरिया सिर की गगरिया पे नटवर,
फोरे गगरिया, तु जो सँवरिया,
तु जो सँवरिया, फोरे गगरिया,
भीगे मोरी कोरी चुनरिया,
छेड़ो नाहीं मोरे सँवरिया ।।
बैरी प्रीत निगोड़ी सुने नहिं बतिया,
काहें चैन चुरा के छुपे मन बसिया,
तेरी याद में बीते न दिन न ये रतिया,
तेरी बसुँरिया, सुनूँ सँवरिया,
सुनूँ सँवरिया, तेरी बसुँरिया,
दौड़ी आऊँ तेरी नगरिया,
छेड़ो नाहीं मोरे सँवरिया ।।
@सरोज गुप्ता
बहुत ही सुन्दर प्यारा गीत मैम
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार बेटा 🙏🌺
हटाएंसादर आभार लेखनी 🙏🌺
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर गीत maam
जवाब देंहटाएंनमन 🙏🙏
स्नेहिल आभार तुषार बेटा 🙏🌺
हटाएंअत्यंत मनमोहक एवं सरस स्तुति गीत सृजन 🙏🏼
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका डियर 🙏🌺
हटाएंबहुत ही सुंदर गीत🙏😍
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बेटा
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