मैं और मेरा दिल ©सम्प्रीति
चाहा तो नहीं था के कभी लिखूं तुझे..
पर ऐ मेरे दिल तुझे आज मैं लिखने जा रही हूं,
जब छिड़ी है जंग कभी दिमाग की तुने उसे हराया है,
और हर बार मुझे सही रास्ते पे लाया है,
जाने कितने अहसान किए हैं तुने मुझे पर,
आज उन्हें गिनाने जा रही हूं,
ऐ मेरे दिल आज तुझे मैं इस कागज पर उतारने जा रही हूं,
जब भी नकारात्मकता ने मुझे घेरा है,
तुने हर बार मुझे खुद से रुबरू कराया है,
आज उन्हें ही बयां करने जा रही हूं,
ऐ मेरे दिल तुझे आज मैं लिखने जा रही हूं,
जब भी दुनिया ने नफरत के रास्ते पे मुझे मोड़ा है,
तूने अक्सर खुबसूरत महोब्बत का अहसास मुझसे जोड़ा है,
आज उसी महोब्बत को बरसाने मैं जा रही हूं,
ऐ मेरे दिल तुझे आज मैं इस कागज पर उतारने जा रही हूं,
बाहरी दिखावे ने जब भी मुझे डराया है,
तूने आकर हर बार मुझे सहलाया है,
उसी सहानुभूति को एक रुप मैं देने जा रही हूं,
ऐ मेरे दिल तुझे आज मैं लिखने जा रही हूं,
अपने परायों के दर्द ने जब भी मुझे रुलाया है,
तुने हर बार मुझे प्यार दिखाया है,
आज उस प्यार को तेरे करीब ला रही हूं,
ऐ मेरे दिल तुझे आज मैं इन पन्नों पर उतारने जा रही हूं,
मेरे प्यार का एकलौता हकदार बस तुझे ही बनाने जा रही हूं,
हां, मेरे दिल दिल से आज मैं बस तुझे ही लिखने जा रही हूं।
-©सम्प्रीति
बेहद उम्दा रचना दीदी 👌👌🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुषार
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आपका
हटाएंअति सुंदर एवं हृदयस्पर्शी भाव 💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दीदी
हटाएंखूबसूरत
जवाब देंहटाएंशुक्रिया गुंजित
हटाएंबहुत सुंदर 🌺🌺❤❤
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंसुंदर रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीदी
हटाएंबहुत आभार लेखनी 🙏🙏
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