गीत - हे माधव! संसार बचा लो! ©अंशुमान मिश्र

 धधक धधक धरती जलती है,

धरती  का  श्रृंगार   बचा  लो,

हे  माधव!  संसार  बचा  लो!


घेर चुकी मुझको भव माया,

सत्य रूप पहचान न पाया,

डूब  रहा  मझधार,  मुझे दे-

निज संबल पतवार, बचा लो,

हे माधव संसार बचा लो!


दारुण  दुख  देखो  दीनों का,

असहायों,  आश्रयहीनों  का,

निर्धन नयन नीर  पर करके-

करुणा का उपकार, बचा लो,

हे  माधव!  संसार  बचा  लो!


फिर द्रौपदि की लाज बचाओ,

केशव, अपना वचन निभाओ,

कलयुग के कौरव कुल द्वारा,

पांडव जन  की  हार बचा लो,

हे  माधव!  संसार  बचा  लो!


हे  माधव!  संसार  बचा  लो!



                    - ©अंशुमान मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत संवेदनशील एवं प्रभावशाली गीत सृजन 💐

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  2. मेरी रचना पोस्ट करने हेतु लेखनी का अनेकानेक बार आभार❣️🙏

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  3. 🙏🌺भाई साहब दिल खुश हो गया ये गीत पढ़कर बहुत बहुत से भी बहुत अच्छा गीत लिखे हो।✨❤️

    ✨जुबाँ, शब्द, मन और भावों पर
    जिसका पूरा पूरा अधिकार है
    पन्नों में दुनियाँ की सैर कराने वाला
    ये लेखक दस नावों की पतवार है ।।❤️

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अरे रजत भइया, इतनी तन्मयता से पढ़ने और उत्साहवर्धन के लिए अनेकानेक बार धन्यवाद😍❣️❣️✨🙏🙏

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  4. हे माधव संसार बचा लो!! क्या गीत हुआ है। अद्भुत भाव हैं। क्या अनुप्रास है। वाह

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  5. अत्यंत भावपूर्ण रचना बेटा 👏👏💐💐

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  6. बहुत ही सुंदर गीत, बहुत खूबसूरत रचना

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