गीत- दरसन ©दीप्ति सिंह

 राधेकृष्ण

नमन,माँ शारदे

नमन, लेखनी



तोरे दरसन को तरसे अँखियाँ 

बिनु दरसन के बरसे अँखियाँ 

तोहे खोजन को बेकल होकर

निकली कबसे घरसे अँखियाँ  


तोहे खोजूँ बृज की गलियन में 

तोहे खोजूँ मैं वृंदावन में 

तोहे खोज न पाऊँ जो मन में 

भींजी हैं इस डर से अँँखियाँ 


तुम हो पायल की रूनझुन में 

तुम हो मुरली की गुनगुन में 

तुम हो इस धड़कन की धुन में 

ये सोचूँ तो हरसे अँखियाँ


तुम नामी हो,तुम नाम भी हो।

तुम श्यामा हो,तुम श्याम भी हो।

तुम ही सब तीरथ,धाम भी हो।

सुनती ये गुरुवर से अँखियाँ ।।


जो तेरा सुमिरन हो जाए 

तो मन वृंदावन हो जाए 

बस अविरल चिंतन हो जाए 

ये ही चाहे भीतर से अँखियाँ ।


©दीप्ति सिंह "दीया"

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण, भक्तिरस घोलता हुआ गीत। नमन है। जय श्री कृष्ण।

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  2. सुंदर स्तुति l 🙏

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  3. sanjeevshukla.rikt771@gmail.com29 जून 2023 को 5:55 pm बजे

    ुंदर स्तुति 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर स्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. अत्यंत सुंदर स्तुत्य स्तुति गीत मैम 👏🙏

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  6. अत्यंत भावपूर्ण भक्तिपूर्ण भजन डियर 🙏🙏 जय श्री कृष्ण🙏🙏 💐💐

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  7. अत्यंत भावपूर्ण भक्तिपूर्ण भजन डियर 👌👌❤❤❤ जय श्री कृष्ण 🙏🙏

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  8. वाहहहहह कमाल, बहुत ही सुंदर स्तुति, राधेकृष्ण

    जवाब देंहटाएं
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    1. तहे-दिल से शुक्रिया एवं सस्नेहाभिवादन सम्प्रीति 😊💐

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