गीत- ज़िन्दगानी ©गुंजित जैन

नमन, माँ शारदे

नमन, लेखनी



बहुत ख़ास तुम हो गई ज़िन्दगी में, 

बताएं तुम्हें क्या, तुम्हीं ज़िन्दगानी,

तुम्हारे बिना सब, अधूरे रहें हैं,

ग़ज़ल, शायरी और किस्से, कहानी।


तुम्हें देखकर बूँद ये बारिशों की,

हमें बेवजह छेड़ जाने लगीं हैं,

बरसती घटा की, खिलीं महफ़िलें भी,

हज़ारों हसीं गीत गाने लगीं हैं,

तुम्हारे जवां जिस्म को छू गया जो,

गुलों सा महकने लगा शोख़ पानी,

बहुत ख़ास तुम हो गई ज़िन्दगी में, 

बताएं तुम्हें क्या, तुम्हीं ज़िन्दगानी।


कभी चार हों जब हमारी नज़र से,

नज़र क़ाबिल-ए-दीद कमसिन तुम्हारी,

शरारत करें जा रहीं इस तरह से,

नज़र उम्र भर ये तुम्हारी-हमारी,

नज़र खुशनुमा बे-क़रारी बढाए,

इन्हीं में कहीं शायरी डूब जानी,

बहुत ख़ास तुम हो गई ज़िन्दगी में, 

बताएं तुम्हें क्या, तुम्हीं ज़िन्दगानी।


खनकती हुई खूबसूरत सदा में,

नशा मुख़्तलिफ़ मयकदों का भरा है,

ज़ुबाँ से निकलने लगे लफ्ज़ जब-जब,

लगा गुनगुनाती हुई शाइरा है,

महकते हुए लफ्ज़ मोती बनाकर,

वफ़ा की हसीं गीत-माला बनानी,

बहुत ख़ास तुम हो गई ज़िन्दगी में, 

बताएं तुम्हें क्या, तुम्हीं ज़िन्दगानी।


करे साथ कामिल हमें बस तुम्हारा,

मुकम्मल तुम्हारे बिना कब रहे हम?

हवा की नरम सर्द सरगोशियों में,

महक ढूँढती मुंतज़िर शब रहे हम,

घनी बेक़रारी भरी रात हम हैं,

हमें दे महक तुम वही रातरानी,

बहुत ख़ास तुम हो गई ज़िन्दगी में, 

बताएं तुम्हें क्या, तुम्हीं ज़िन्दगानी।

©गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बेहतरीन 👏👍

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना

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  3. बेहद कमाल गीत और लय भाई 👏

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  4. बहुत खूबसूरत गीत। बधाई हो आपको

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