©सौम्या शर्मा

 तारे गिनता है रात भर कोई!

रखता अपनी नहीं खबर कोई!!


तुझको एक रोज देखने की जिद!

करता हर रोज है सबर कोई!!


दुनिया कहती है लौट के आ जा!

तुझमें गुम है,है बेखबर कोई!!


तेरी उसको नजर है ऐसी लगी!

अब है लगती नहीं नजर कोई!!


एक तेरी चाह में सुकूं से है!

दूजी हसरत न उम्र भर कोई!!


हाल उसका मैं क्या बताऊं तुझे!

फिरता रहता है दरबदर कोई!!


तेरा दीदार हो तो चैन आए!

सदियों से कर रहा सफर कोई!!


तू जो मिल जाए उसे झूम उठे!

तेरी तलाश में हमसफ़र कोई!!

©सौम्या शर्मा

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