गीत-तमन्ना ©संजीव शुक्ला

 कलियों को महक लुटाने दो,भँवरोँ को गुन-गुन गाने दो l

झुक के क़दमों में शाखों को, राहों में फूल बिछाने दो l


नदिया के तीर बुलाते हैँ, 

कल कल आवाज़ लगाते हैँ l

चंचल झरनों के संदेशे, 

ठंडे झोंके ले आते हैँ l

रेशम, चम्पा के पाँव ज़रा,लहरोँ को आज भिगाने दो l


इन खिलते चाँद सितारों में, 

जगमग फानूस कतारों में l

घर रौशन कर पाएँ मेरा, 

वो बात कहाँ उजियारों में l

चेहरे से हटा दोजुल्फों को,थोड़ा सा उजाला आने दो l


ये हुस्न असर करता जाए, 

रग-रग में नशा भरता जाए l

अंगूरी झीलों का आलम, 

बेखुद करता बढ़ता जाए l

ढलते सूरज को गेसू में, सोने के रँग भऱ जाने दो l

झुक के क़दमों में शाखों को, राहों में फूल बिछाने दो l

©संजीव शुक्ला 'रिक़्त'

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