प्यार जताना ना आया तुम्हें © रेखा खन्ना
तेरी यादों में अपना वजूद ढूंँढ लेता हूँ
बीते हसीन पलों में खुद को खो लेता हूँ।
खो रहा हूँ कहीं मैं पर तुझे रोक लेता हूँ
दिल की ज़मीन पर मैं तन्हाई बो लेता हूँ।
आंँखें हैं नम और एहसासों का समंदर गहरा
डूबने से बचने को अक्सर आँखें धो लेता हूंँ।
मुक्कमल ना हुई थी दास्तां-ए-मोहब्बत
गाहे-बगाहे अपने ही काँधे सर रख रो लेता हूंँ।
बात से बात निकलती तो दूर तलक जाती
बात दिल की करने से पहले नसीहतें दो लेता हूँ।
प्यार जताना ना आया तुम्हें मैं मान लेता हूँ
ग़म-ए-जुदाई सहने से अच्छा कब्र में सो लेता हूंँ।
© रेखा खन्ना
भावपूर्ण रचना आपकी ❤️❤️
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया 🙂
हटाएंबेहद खूबसूरत ❤❤❤
जवाब देंहटाएंShukriya apka 🙂
हटाएंबेहद खूबसूरत एवं संवेदनशील पंक्तियाँ 💐💐💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंShukriya apka 🙂
हटाएंभावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंShukriya apka 🙂
हटाएंअहा कमाल लिखा है
जवाब देंहटाएंShukriya apka 😊
हटाएंSwagat aapka
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