प्यार की बदरा ©दीप्ति सिंह
तेरे प्यार की बदरा बरसे ज़रा
मन भीगे थोड़ा... तरसे ज़रा
जज़्बातों की बिजुरी चमके ज़रा
कभी ज्यादा और कभी....थम के ज़रा
आज मौसम की नीयत बेईमान है
दिल के अंदर ये कैसा तूफान है
यूँ मुहब्बत की ख़ुशबू महके ज़रा
मन झूमे और तन बहके ज़रा
अब के सावन यूँ ही बीते ना
कोई कोना मन का रीते ना
आज भीगे तो अरमाँ निकले ज़रा
तेरी बाहों में आके पिघले ज़रा
तेरी उल्फ़त में है डूब जाना मुझे
चाहे दुनियाँ बोले दीवाना मुझे
तेरी चाहत की बारिश कर दे ज़रा
मेरी ख़्वाहिश का दामन भर दे ज़रा
©दीप्ति सिंह "दीया"
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जवाब देंहटाएंBahut sundar geet maam👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आपका तुषार 💐💐💐😊
हटाएंअत्यंत सुंदर🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आपका गुंजित 💐💐💐😊
हटाएंअत्यंत सुंदर रचना
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