कविता ©सूर्यम् मिश्र
शांति के वो श्वेत से कपोत खूब उड़ें किन्तु, शत्रुखोर सिंह व्याघ्र व्यग्रकारी भी रहें।
सद्भावना के अग्रदूत संग इस धरा पे, युद्ध भावना प्रबल प्रखर प्रहारी भी रहें।
भोले भोली भावना को कभी नहीं भूलें किंतु, संग- संग रूप उनका रौद्रधारी भी रहें।
औ मंदिरों से प्रेम मेरा और भी बढ़ेगा, यदि देवताओं संग वहां क्रांतिकारी भी रहें।
©सूर्यम् मिश्र
Waah
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब 👏👏👏🌺🌺
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं सटीक 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंअति उत्तम🙏🙏
जवाब देंहटाएंWahhh
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर 👌👌
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