महाभारत ©सूर्यम मिश्र

 सब एकत्रित हो रहे,सैन्य साधन समस्त 

रणक्षेत्र सज रहा करने को भू विपर्यस्त 

छा रहा धरा पर एक भयानक अंधकार 

रह-रह गरजे आकाश कर्ण पर कर प्रहार 

चहुँओर गर्जना भीषण,ध्वज उड़ते भर-भर 

टकटकी लगाए देव, काँप उठते थर-थर 

चमका हो जैसे,नभ से एक प्रलयी विनाश 

मस्तक पर बैठा काल कर रहा अट्टहास


दोनों पक्षों से खड़े सज्ज सैनिक समर्थ

करने को एक दूजे के अरि का शौर्य व्यर्थ

सब वृक्ष वनस्पति सज्ज आज बनने पिशाच 

चहुँओर मृत्यु ही मृत्यु कर रही नग्न नाच

अब त्याग, धर्म, सत्यता और न्यायी प्रवृत्ति 

कुरु दल के आगे द्रोण भीष्म बन खड़े भित्ति

देने निज रण कौशल का,बल का,शुचि प्रमाण

थे खड़े कर्ण, ले चाप्‌ हस्त में, बन पहाड़ 


फ़िर शल्य,शकुनि,भगदत्त,जयद्रथ औ बृहद्वल

सौ भाई ले, दुर्योधन हँसता है, खल-खल 

रह-रह उत्तेजित करता वह सेना अपार 

मानो रण से ही प्राप्त करेगा सहस्त्रार 

निज सेना का वीरत्व भाँप कर रहा गर्व 

ना दिखता उसको नाश वंश का वह अखर्व

उसकी आँखों में दृश्य एक बस राज्य पूर्ण 

उन्मत्त हृदय करता मानवता चूर्ण-चूर्ण 


दूसरे पक्ष की सेना का वह भाग अग्र 

देखे तो कंपित हो पड़ता यह जग समग्र 

सोचो किसका साहस क्या कितना कहां बढ़े?

जिसके पीछे कर हृदय क्रुद्ध भगवान पड़े

रथ रज्जु पकड़ कर खड़े स्वयं परमेश्वर ही 

प्रशमित भूमंडल में उठती एक तरंग सी 

अधरों पर मृदु मुस्कान मंद शीतल चितवन 

वो रूप चक्षु से उगल रहा है ज्वाल सघन 


हैं धर्मराज फ़िर खड़े हस्त में भाला ले 

कालिका खड़ी हों जैसे आनन-माला ले

फ़िर भीम गदा धर खड़े हुए बनकर पहाड़

उस भूधर से लड़,काल,पवन खाता पछाड़ 

फ़िर खड़े कृष्णप्रिय पार्थ धार कर धनुष बाण

देने रण के भय को, भय के रण का प्रमाण 

हैं चमक रही दिनकर सी आँखें लाल-लाल 

कर रहा चमत्कृत रक्त तप्त उद्विग्न भाल 


धर खड्ग हाथ में नकुल,दहकते हैं प्रचंड

कर देने को कितनी ही देहें खंड-खंड

सहदेव खड़े हाथों में ले फिर परशुहस्त

मानों द्विजराज करेंगे अब बहु सूर्य अस्त

अभिमन्यु सरीखे कइयों उद्भट महावीर 

टन-टन करते प्रत्यंचा धारण कर तुणीर

हैं सोच रहे,कब समारंभ हो महाप्रलय का

स्थापित हो अब धर्म और हो ह्रास अनय का 


©सूर्यम मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. सार्थक, भावपूर्ण..

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  2. वाह,, अत्यंत रोमांचक वर्णन,। बहुत ही सुन्दर ❤️❤️🙏🙏

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  3. अत्यंत अद्भुत वर्णन🙏🙏नमन है

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  4. अत्यंत सजीव एवं प्रभावशाली युद्ध वर्णन 💐💐💐

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  5. अत्यंत सजीव रचना 🌻

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  6. वाहहहहह अत्युत्तम, उत्कृष्ट सृजन

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  7. वाह बहुत खूब सूर्यम ❤️❤️❤️
    हमेशा की तरह शानदार

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  8. बहुत उम्दा रचना भाई👌👌

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  9. अद्भुत, अत्यंत सजीव एवं रोमांचक सृजन 👏👏👏🌺🌺🌺

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