बारिश ©गुंजित जैन

 अक़्सर दरवाज़े के नज़दीक बैठा घर के बाहर होती बारिश को देखता हूँ तो ख़ुद-ब-ख़ुद तुम्हारे बारे में सोच लेता हूँ, कि अगर तुम न होते, तो क्या होता।

शायद, कुछ नहीं।   

बस ये बारिशें फ़िर उतनी हसीन नहीं लगती।

क्योंकि आज भी घनें बादलों में तुम्हारी सूरत कभी तलाशकर तराशता हूँ तो कभी तराशकर तलाशता हूँ। या कभी बारिश में गिरती बूँदों को हथेली पर रखकर उनमें कहीं तुम्हें ढूँढता ही रहता हूँ।


तुम्हें ढूँढने का सिलसिला यूँ चलता रहता है कि इतने में बारिश पल भर को थम जाती है। फ़िर आहिस्ते-आहिस्ते जब हवा चलती है तो पेड़ों पर से कुछ बूँदें मेरे चेहरे पर लाकर छिड़क देती हैं। शायद तुम्हें मेरे पास लाकर कहीं मेरी तलाश ख़त्म करना चाहती हों, और मैं! समझ ही नहीं पाता। बस उन बूँदों में खोता चला जाता हूँ।


बादलों की एक गरज मन में अचानक एक सुंदर सी सिहरन पैदा कर देती है, ठीक वैसी जैसे तुम्हारे पुकारने पर होती थी। ये देख मेरी पुरानी कविताओं के कुछ अक्षर जीवंत हो उठते हैं और हवाओं से पलटते उन पन्नों में ही कहीं तुम्हें ढूँढने को दौड़ते हैं! 

मगर, हर बार की तरह केवल ढूँढकर ही रह जाते हैं।


कहीं बादलों की ओट से सूरज जब तुम्हारी तलाश में डूबते हुए मुझे देखता है तो मुस्करा देता है, सात रंगों भरी एक खूबसूरत मुस्कान। वही मुस्कान जो सूरज की ही तरह कहीं बादलों के पीछे ही छिपी होती है। पर मैं, हर बार की तरह सिर्फ़ तुम्हारी ही तलाश में डूबा रहता हूँ।


थमी बारिश में आँगन में उगे मोगरे के फूलों पर जब बूँदें देखता हूँ तो एहसास होता है कि ये महक भी कुछ तुम्हारी तरह है, जो सिर्फ़ तुम्हारे होने पर ही आती है, और ये आँगन महका देती हैं। मगर तुम्हारे बिना, तो आँगन में खिलखिलाते ये फूल भी नीचे कहीं बिखरे नज़र आते हैं।


इन्हीं ख़यालों की कश्मकश में खोया ही रहता हूँ कि फ़िर बारिश शुरू हो जाती है। दिल करता है अब इन बूँदों को स्याही में मिलाकर क़लम से पन्नों पर उतार दूँ।

पन्नों पर तुम्हें लिखने की कोशिशों में फ़िर तुम्हें सोच लेता हूँ,

कि अगर तुम न होते, तो क्या होता,

शायद सब कुछ होता, पर कुछ नहीं।


©गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. बहुत-बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना💐💐💐💐💐

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  2. बेहद खूबसूरत बेहद भावपूर्ण सृजन 💐💐💐😊

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  3. बेहद खूबसूरत भावपूर्ण 👌👌💐💐💐

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  4. दिल को छू लेने वाली अभिवयक्ति

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  5. वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..., क्या बात है.....

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