साँवरे ©लवी द्विवेदी
सुगम सुंदर सर्वस साँवरो,
मृदुल भाषिणि वल्लभ श्याम है।
नयन कंज अलौकिक मोहना,
प्रभु प्रिया मुरलीधर नाम है।
प्रिय पतीश्वर गोपिक राधिका,
प्रिय मनोहर केशव वृन्द है,
प्रिय सुधारस प्रेम मणिः प्रभू,
प्रभुहि कोमल कान्त सुनंद है।
विमल व्योम विभा विरुदावली,
मणिक कुंज प्रभा कटि कर्धनी।
अतुल सौम्य सरोरुह वर्णिमा,
पद सुकोमल पारुल पैजनी।
सरस गोपिक वल्लभ श्री हरी,
रुचिक नंद सनेह सुधामयं।
रमण वेणुधरीश्वर शेखरे,
पतित पावन प्रीत प्रियामयं।
भुवन मंगल कारण कुंज श्री,
सकल पूज्य हरी वियना हरी।
भव पिता कमलेश विशेश्वरम्,
परम पुण्य पतिः विघना हरी।
प्रभुहि माखनचोर सुलक्षणा,
सुत यशोमति श्याम सुनाम श्री।
प्रभु किशोरहि माधव प्राणदा,
हरि प्रियापति हे घनश्याम श्री।
प्रभुहि दीनदयाल दयानिधिं,
प्रभु नमामि नमो हरिनाम श्री।
कमल कांतिप्रिया अभिराम हे,
सतत बारमबार प्रणाम श्री।
©लवी द्विवेदी
अद्भुत, अप्रतिम छंद सृजन 👏👏💐💐
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण 🙏🙏
अत्यंत उत्कृष्ट एवं मनहर छंद बद्ध स्तुति 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर छंद सृजन🙏🙏 श्रीकृष्ण🙏
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