समर्पण ©संजय मिश्रा

 जीवन जीने के दो ही ढंग है

या तो किसी को अपना बना लो

या किसी के हो जाओ

किसी को अपना बनाना

संघर्ष और अंहकार  को

बढाता है और संघर्ष 

अंहकार में सुख कहाँ ।

तो किसी के हो जाओ

वो आसान है संघर्ष से

परे अंहकार से मुक्त है

समर्पण में सुख है 

किसी को अपना बनाने 

से ज्यादा सरल सहज है

किसी के हो जाओ ।


©संजय मिश्रा

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर एवं सार्थक पंक्तियाँ 💐💐💐💐🙏🏼

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