नज़्म: उनवान -अलमिया ©हेमा काण्डपाल
किसी ने क़ैद कर डाला
मुझे रंगीं नशेमन में
जहाँ के हर दरीचे पर
जहाँ की सब दीवारों पर
बना है एक ही चेहरा
वो चेहरा के
वबा ता'मीर की जिसने
वही चेहरा सताता है मुझे अब सर्द रातों में
वही चेहरा के जिसपर मेरी आँखें हैं
मगर वो बंद रहती हैं
वो आँखें ओढ़ती हैं धूल मिट्टी की कई शालें
वो चेहरा नूर चेहरा है
मगर मैं उससे डरती हूँ
उसे खाया हुआ है बीच से नोचा है ये किसने
सदा पैवंद है जिसपर
मुझे अब इस नशेमन में बहुत आराम मिलता है
यहाँ के हर दरीचे पर टंगा है अब भी वो चेहरा
जिसे मकड़ी के जालों ने नए आयाम दे डाले
जिसे हुगली ने अपनाया
जिसे फारस ने दफ़नाया
जिसे तुर्कों ने बेचा था
किसी तो पुर्तग़ाली को
उसी चेहरे को ले जाने कभी यूरोप आया था
उसी चेहरे की ख़ातिर आज भी कुछ लोग आते हैं
वही कुछ लोग जो अब क़ैद हैं रंगीं नशेमन में
वो चेहरा उस सदी से इस सदी की बात करता है
वही चेहरा मुझे रातों को अब आराम देता है
वही चेहरा के जिसकी खाल बिल्कुल मेरे जैसी है
कहीं से जल रही है और कहीं जमने लगी देखो
के देखो जंग जारी है
के देखो मौत तारी है
वो चेहरा एक धोखा है
वो चेहरा इक झरोखा है
वो चेहरा आज भी लाखों घरों में हो रहा रौशन
वही चेहरा के जिसपर मेरी आँखें हैं
मगर वो बंद रहती हैं
©हेमा काण्डपाल
गज़ब... गजब....
जवाब देंहटाएंनमन है आपके कलम फन को👏👏👏👏👏👏
बहुत बहुत शुक्रिया 🙏💙
हटाएंशानदार नज़्म वाह्ह्हह्ह्ह्ह 💐
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद सर 🙏🙏
हटाएंबेहद गहरे भाव समेटे हुए बेहद उम्दा नज़्म 👏👏👏🌺🌺
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम
हटाएंग़ज़ब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नज़्म 🙏🙏👌👌
Shukriya Tushar
हटाएंअत्यंत संवेदनशील एवं गहरे भाव समेटे हुए बेहतरीन नज़्म 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन नज़्म दीदी🙏
जवाब देंहटाएंलाजवाब, बेहतरीन नज़्म.... बेहद ज़ज़्बात भरी.... 😊😊🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
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