चातक ©लवी द्विवेदी
छंद- कनक मंजरी (वार्णिक)
चरण- 4 (दो-दो चरण समतुकांत)
विधान- IIII + भगण (6) + गुरु
(13,10 यति)
IIII SII SII SII, SII SII SII S
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समय विवर्तन चातक याचक, साधक एक अधीर सुधा,
दिवस व मास दिगंत विलोकत, तिक्त विवेक विरुद्ध क्षुधा।
विकल निकुंज तृषा मनसा उर, रम्य फुहार प्रसून खिले,
घिर यदि पावस स्वाति विनोदित, बूँद तृषा जिँह कूप मिले।
इत उत डोलत सारन क्रंदन ,ज्यों भय भृङ्ग विरुद्ध गती
पथ अवलोकत मेघ नवोदित, नूतन वारि विभा हरती।
सरद निदाघ बसंत गए बहु, माह विभूषित एक दिवा,
खग दुविधा प्रभुता नित खोजत, मेघ सुनृत्य विरंचि शिवा।
निशमन नाद प्रभंजन चातक, ज्यों नभ तोयद हार गए,
अविरल आहत क्रन्दन सारन, देखि सुवर्ण वितान लए।
हतप्रभ स्वाति तृषा अवनी उर , वंदन वारिद व्यग्र भए।
घन घिर मेघ प्रभा बरसे क्षण, वृन्द विनोद कछार नए।
मृदुल मृदंग उमंग प्रभाकर, चातक तृप्त तृषा सकुची,
अरु क्षण शुक्ति भई शुचि शुक्तिज, बूँद पयोधि प्रभा पहुँची।
किसलय कोमल पर्ण सुवासित, चातक ज्यों समता रखिये,
सरस प्रभाव सुमेरु प्रभा रुचि, धैर्य विभा क्षमता रखिये।
©लवी द्विवेदी
उत्कृष्ट छंद सृजन 💐
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट, भावपूर्ण, मनहर छंद सृजन...... बधाई... 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,मनमोहक छंद सृजन
जवाब देंहटाएंनमन है आपकी लेखनी को👏👏👏
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर छन्द👌👌
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण छंद बद्ध सृजन 💐💐💐
जवाब देंहटाएंउत्तम ❤️
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट छंद सृजन 👌👌👌🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्तम छंद सृजन🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट सृजन 👏👏🙏
जवाब देंहटाएंवाहहहहह
जवाब देंहटाएंआपका शब्दकोश डबल वाहहहहह