श्री राम- जानकी ©वन्दना नामदेव
छंद - कुंडल (सम मात्रिक )
चरण - 4 (दो -दो, या चारों चरण सम तुकांत )
मात्रा -22
यति - 12,10
यति के पूर्व, एवंम् पश्चात त्रिकल
चरणान्त - SS (गुरु, गुरु )
जन्मभूमि अवध पुरी, राम जी तिहारी,
समस्त कर्म की धुरी, विष्णु सुअवतारी।
दशरथ श्री श्रेष्ठ तात, मात तीन रानी,
संग तीन अनुज भ्रात, नेह की कहानी ।
मर्यादित विनय शील, धीर सदाचारी,
पुरुषोत्तम सिद्ध नील, वीर धनुष धारी ।
संगिनी बन साथ चली, जानकी भवानी,
साहसी अतुल्य भव्य, दिव्य राज रानी।
राम सिया बसे साथ, हृदय में हमारे,
करते हैं कृपा नाथ, नाम जो पुकारे ।
सोहे है पीत वसन, हस्त धनुष धारी,
चंद्र बदन कमल नयन, मृदुल मंजु प्यारी।
-© वन्दना नामदेव
हार्दिक आभार आ. तुषार जी
जवाब देंहटाएंनमन लेखनी
सुंदर, मनहर छंद रचना 💐
जवाब देंहटाएंअति सुंदर मनहर कुंडल छंद सृजन 👌👌👌🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं मनमोहक कुंडल छंद सृजन 💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर छन्द ma'am 👌👌🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर छंद सृजन 👏👏
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन ❤️
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर छंद सृजन🙏
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