भारत का सत्य ©सौम्या शर्मा
सत्य सनातन परम्परा का वाहक भारतवर्ष रहा l
शाश्वत परिपाटी पर होता नव जीवन उत्कर्ष रहा ll
इस धरती ने दंश सहे हैं,तीव्र हृदय आघात सहे l
गहरे घाव बदन पर लिए अहिंसा क़े संदेश कहे ll
भारत हारा नहीं वैश्विक नित नूतन छल-छंदों से!
हारा है तो मीर जाफरों से घर के जयचन्दों से!!
इस धरती ने ज्ञान दिया,वीरत्व सदा सिखलाया है l
इस माँ ने चाणक्य,बुद्ध,बेटा प्रताप सा पाया है ll
कोटि-कोटि है नमन धरा की पावन चंदन माटी को!
चंदन सम पावन रज,सौ प्रणाम हैँ हल्दी घाटी को l
हमने कर विश्वास और विश्वासघात प्रतिफल पाया!
फिरभी छल-पाखंड हमारे शोणित मध्य नहीं आया ll
गौरवमय इतिहास हमारा,प्रतिपल साहस देता है l
सुखद भविष्य सूर्य उदयाचल से यह ढाढ़स देता है ll
यह उदारता है दुश्मन को भी हम गले लगाते हैँ l
किन्तु कुटिलता घाव पीठ पर विष बदले में पाते हैँ ll
~ ©सौम्या शर्मा
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अत्यंत ओज पूर्ण सृजन प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रभावशाली एवं सटीक कविता 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण कविता 👏👏👏🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंअद्भुत कविता 👌👌🙏
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