देना! ©रानी श्री
मुझे तुम तोहफ़े में एक ख्वाबों का शहर देना,
ज़रा सी धड़कनों से इश्क़ की तुम जान भर देना।
हज़ारों ख्वाहिशों की मांग रब से क्यों करूं बोलो,
तुम्हीं को मांग लेती हूं,कि पूरी मांग कर देना।
अभी अपनी नज़र से ये ज़माना देखती हूँ मैं,
कि ख़ुद को भी ज़रा देखूं, मुझे अपनी नज़र देना।
कई सारे अधूरे लफ़्ज़ हैं मेरी कलम में यूं,
मुझे पूरी ग़ज़ल करने,ज़रा तुम इक बहर देना।
कई अब हो चुकी बातें दिमागी खेल की 'रानी'
नहीं कुछ सोचना तुम आज,दिल अपना अगर देना।
~©रानी श्री
अति सुंदर मनोरम
जवाब देंहटाएंमुझे पूरी ग़ज़ल करने जरा तुम इक बहर देना... वाह्ह्हह्ह्ह्ह 🌸
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर ग़ज़ल 👌👌🙏
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गजल 👏🏻👏🏻👏🏻💐💐💐
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 😍💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा गज़ल 👏👏👏👏💐💐💐
जवाब देंहटाएं