खालीपन ©विपिन बहार
आसूँ में पत्थर लेकर भी,जीवन चले रवानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।
आँसू को तो हमने पोछा,छुप-छुप कभी रजाई में ।
शादी उसकी होती देखी,भीगीं हुई जुलाई में ।।
मंडप में जलते सपने थे,प्रेयसी राजधानी में ।
चाहत, धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।
नजरों की खामोशी में तो,यारा बहुत बवंडर था ।
हल्दी के लेपन में उसके,उर का हाल भयंकर था ।।
फेरो में जो सपने टूटे,काँपे बदन बयानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।
नाचे,झूमे,बाराती को,देखे खड़े किनारे में ।
सखियाँ तेरी बैठे गुपचुप,अंतर करे हमारे में ।।
यादे तेरी गंगाजल है,हमकों मिली निशानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में।।
©विपिन"बहार"
बहुत ही बेहतरीन गीत भाई जी🙏🙏
जवाब देंहटाएंसादर आभार भाई जी👏
हटाएंसादर आभार आपका👏👏
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं भावपूर्ण गीत सृजन 🌸
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भईया जी👌👌
जवाब देंहटाएंसार्थक भावपूर्ण रचना 💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर आपका👏👏👏
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