खालीपन ©विपिन बहार

आसूँ में पत्थर लेकर भी,जीवन चले रवानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।

आँसू को तो हमने पोछा,छुप-छुप कभी रजाई में ।
शादी उसकी होती देखी,भीगीं हुई जुलाई में ।।
मंडप में जलते सपने थे,प्रेयसी राजधानी में ।
चाहत, धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।

नजरों की खामोशी में तो,यारा बहुत बवंडर था ।
हल्दी के लेपन में उसके,उर का हाल भयंकर था ।।
फेरो में जो सपने टूटे,काँपे बदन बयानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में ।।

नाचे,झूमे,बाराती को,देखे खड़े किनारे में ।
सखियाँ तेरी बैठे गुपचुप,अंतर करे हमारे में ।।
यादे तेरी गंगाजल है,हमकों मिली निशानी में ।
चाहत,धोखा,खालीपन है,शायरों की कहानी में।।

©विपिन"बहार"
         

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