अब तुम्हें मैं याद हूँ क्या? ©गुंजित जैन

 हल्के पीले रंग वाला मखमली सा वो दुपट्टा,

जो तुम्हें मैंने दिया था,

तोहफे में, याद है क्या?

उसकी हल्की सिलवटों में, तुम नज़र आती थी मुझको

मुस्कुराती, खिलखिलाती, 

कुछ नए सपने सजाती।


फेंक आई वो दुपट्टा? 

या अभी संभाल कर रक्खा हुआ है?

धूल से लथपथ किसी कोने में घर के?

या पहनती हो उसे अब भी सँवर के?


उस दुपट्टे में कहीं पर, अब भी मैं आबाद हूँ क्या?

सच बताना,

अब तुम्हें मैं, याद हूँ क्या?


और वो दो खनखनाती चूड़ियाँ भी,

साथ जो बाज़ार से लाए थे दोनों।

जब तुम्हारी ये निगाहें जा कहीं पर रुक गईं थीं,

मैंने पूछा, तुम मगर ख़ामोश होकर चुप खड़ीं थीं,

तब निग़ाहों ने ही रस्ता चूड़ियों का था बताया,

और तब जाकर तुम्हें मैं, चूड़ियाँ वो दो ले आया।


पास जब आता था मैं तो चूड़ियाँ तुम खनखनाती,

चूड़ियों के बीच से ही झाँककर के मुस्कुराती।

रख रखी हैं अब भी क्या? या तोड़ दी हैं?


अब भी क्या उन चूड़ियों की खनखनाहट में कहीं हूँ?

और उस मुस्कान की बुनियाद हूँ क्या?

सच बताना,

अब तुम्हें मैं, याद हूँ क्या?


हर मुलाकातों पे अपनी, हमको हर दम पास आते, 

रास्ते जो देखते थे

दूर तुमसे आज मैं उन रास्तों पर ही हुआ हूँ।


हादसों में ही गुज़रती ज़िन्दगी थी,

ज़िन्दगी फिर हादसा ही हो गई थी।

हादसा जो कुछ पलों में दूर मुझको ले गया था,

तुमको पर ग़म से भरा इक आसमाँ वो दे गया था।


जी रहा था, तब तुम्हारा इश्क़ था मैं,

अब थमी इन धड़कनों के बाद हूँ क्या?

सच बताना,

अब तुम्हें मैं, याद हूँ क्या?


©गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. वाह्ह्ह्ह बहुत ही बेहतरीन नज़्म भैया 🙏

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  2. वाह वाह बेहद खूबसूरत और रूमानी नज़्म 👏👏👏👏❤❤❤❤🌹🌹🌹🌹

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  3. बेहद संवेदनशील और भावों से पूर्ण

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद खूबसूरत बेहद भावपूर्ण नज़्म 💐💐💐💐

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  5. बहुत खूबसूरत नज़्म... वाह्ह्हह्ह्ह्ह 💐

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  6. बेहद खूबसूरत नज़्म भैया ✨👏

    जवाब देंहटाएं

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