शारदे वंदना ©दीप्ति सिंह

छंद: मधुमालती 

प्रत्येक चरण 14 मात्रा 

पाँचवी एवं बारहवीं मात्रा लघु 

चरणान्त रगण 


वंदन करूँ माँ शारदे, 

अर्चन करूँ माँ शारदे ।

निज भाव को आकार दे, 

लेखन करूँ माँ शारदे ।


रस छंद का माँ ज्ञान दे, 

लय शिल्प का वरदान दे ।

माँ लक्ष्य का संधान दे, 

भेदन करूँ माँ शारदे ।


भाषा लिए संवेदना । 

प्रेरित करे जन भावना ।

किस-विधि जगे जन चेतना, 

चिंतन करूँ माँ शारदे ।


परिणाम निर्मल जाप का,

तम नाश हो संताप का ।

घट भर चुका है पाप का, 

मंथन करूँ माँ शारदे ।


देवी असीमित ज्ञान की,

रक्षा करो संतान की।

अनुभूति माँ के ध्यान की,

संचन करूँ माँ शारदे ।


©दीप्ति सिंह "दीया"

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर और सारगर्भित मां सरस्वती की वंदना! मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रहे! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं और आशीर्वाद!
    🙏🚩🎌👣🎌🚩🌄🚩🎌👣🎌🚩🙏

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    1. हृदय तल से आभार एवं सादर वंदन पापा 😊💐💐💐💐🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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  2. बहुत सुन्दर रचना है।
    आशिर्वाद...

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    1. हृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका भैया 😊💐💐💐🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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  3. बहुत सुंदर सरस्वती वंदना!
    तुम्हारे अंदर एक संवेदनशील कवयित्री को देखकर प्रसन्न हूँ।तुम्हारी सधी लेखनी को देखकर चकित हूँ।इसी तरह अपनी कविताओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध करती रहो, प्रतिभा को उजागर करती रहो, मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है।
    ~गौरीशंकर सिंह(बाबूजी)

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    उत्तर
    1. आपके अतुल्य स्नेह एवं आशीर्वाद के लिए हृदय तल से कोटि-कोटि आभार एवं सादर वंदन आपका बाबूजी 🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐💐

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  5. सुंदर, भावपूर्ण स्तुति..... जय माँ शारदे....

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  6. बहुत सुंदर भावपूर्ण माँ शारदे की स्तुति 🙏🙏 जय माँ शारदे 🙏🙏💐💐

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  7. बहुत सुंदर माँ शारदे की स्तुति 🙏🏻💐💐💐

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  8. जय माँ शारदे🙏🙏🙏उत्कृष्ट स्तुति

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