कान्हा ©सूर्यम मिश्र

 वैसे जग मा नाम बहुत है

आपन एक घनश्याम बहुत है,


मोहन मूरत गिरधारी की

शोभित छवि श्री बनवारी की

लट जैसे हैं मेघ मनोहर

नयन रम्य ज्यों, गावें सोहर

सबकौ सबका गोरा प्यारो

आपन सांवर श्याम बहुत है


मन मोरा त केशवमय है  

मोसे वा का मिलना तय है 

वा से हमरी चोखी यारी 

आग लगे यो दुनिया दारी

सबको जग भर प्यारा होगो 

आपन गोकुल धाम बहुत है 


थोड़ा वा से चित्त खिन्न है 

लेकिन यो बस भाव भिन्न है 

सखा देवता भाई मोरा 

धूप छाँव परछाई मोरा 

दुनिया वैसे सुंदर है पर 

कन्हुआ वो अभिराम बहुत है 


© सूर्यम मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. श्रीकृष्ण छवि का अत्यंत सुंदर वर्णन भैया👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

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  2. वाह सुंदर अभिव्यक्ति मनोहर भाव ❤️❤️❤️

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  3. अति सुंदर एवं हृदयस्पर्शी 💐💐💐💐
    हरे-कृष्ण 💐💐🙏🏼

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  4. बहुत सुंदर रचना 👏🏻👏🏻👌👌👌

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  5. वाह.. जय हो चक्रधारी, श्री कृष्ण हरि 💙💙✨

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    उत्तर
    1. आभार प्रभो 😍🙏, जय हो भुवनमोहन सरकार की 🙏🙏

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  6. Hara krishna buth he सुंदर रचना है 👌👌👌👌👌👌

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  7. वाह👌👌 जय श्री कृष्णा 🙏🏻🙏🏻

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  8. कृष्ण जितनी हीं मधुरता है , राधा जितनी हीं सुंदर है और सूर्यम आप जितनी सरलता इस कविता में....मेरी पसंदीदा हैं आपकी कविताएं ❤️

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  9. सादर आभार मित्र, खूब धन्यवाद 😍😊🙏

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  10. जय श्री कृष्ण🙏🙏 बहुत सुंदर

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  11. मनमोहक बहुत प्यारा लिखा आपने
    राधे कृष्णा

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