ग़ज़ल ©प्रशान्त
क्या ख़्वाब ख़त्म होंगे 'ख़्वाब-ए-अदम' के बाद ?
फिर इश्क़ में मिलूंगा मैं इस जनम के बाद l
पहली नज़र से बिस्मिल दोनों हुए थे लेकिन,
हम भी सुकून से हैं, दिल भी ज़ख़म के बाद l
जब इश्क़ कर रहा था तब क्यूँ खिलाफ़ थे वो ?
जो इश्क़ पढ़ रहे हैं, कागज़-कलम के बाद l
इतने शरीफ़ तो हम पैदाइशी नहीं थे,
सब ऐब गुम हुए हैं उनकी क़सम के बाद ll
हमको ज़ुदा करेगा अब ये जहान कैसे ?
हम-रूह बन चुके हैं हम, हम-क़दम के बाद l
मेरा ज़ुदा तलफ़्फुज़, है शख्सियत उन्हीं की ,
मुझको 'ग़ज़ल' लिखा है, मैंने सनम के बाद l
©प्रशान्त
बहुत खूब सर🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सरजी🙏🙏
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