उड़ान ©गुंजित जैन
दूर क्षितिज तक लंबी कोई,
हम सब उड़ान भरते हैं।
मार्ग कठिन यह लगता हमको,
लक्ष्य दिखे अब पास नहीं,
तीव्र हवाओं को भी देखो,
उड़ना होता रास नहीं,
पर हर काँटे, कठिनाई को,
सरल सुगम हम करते हैं,
दूर क्षितिज तक लंबी कोई,
हम सब उड़ान भरते हैं।
स्वप्नों के आकाश तले अब,
हम दुख सभी भुलाते हैं,
पंख हमारे जो चंचल हैं,
चलो! इन्हें फैलाते हैं,
पंख पसारे नील गगन में,
खग-सा चलो विहरते हैं,
दूर क्षितिज तक लंबी कोई,
हम सब उड़ान भरते हैं।
छूनी सभी बुलंदी हैं अब,
पैर धरा पर रखकर ही,
जोश नहीं थोड़ा भी खोना,
रहना सदैव तत्पर ही,
है जज़्बा, है जोश रगों में,
इनसे नहीं मुकरते हैं,
दूर क्षितिज तक लंबी कोई,
हम सब उड़ान भरते हैं।
©गुंजित जैन
सादर आभार भाई जी🙏
जवाब देंहटाएंकवि महोदय बुलन्द कृति
हटाएंसकारात्मक भाव समेटे हुए उत्कृष्ट सृजन 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका मैम🙏
हटाएंबहुत सुंदर गीत 💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर🙏
हटाएंआशावादी भावों की बहुत सुंदर गीत 👏👏👏💐💐
जवाब देंहटाएंसादर आभार मैम🙏
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत आभार दीदी🤗
हटाएंBahut khoob Bhai 🙏👌
जवाब देंहटाएंबहुत आभार भाई जी🙏
हटाएंअत्यंत अद्भुत कविता भैया जी 🙏👏
जवाब देंहटाएंबहुत आभार🙏
हटाएंबहुत सुंदर गीत 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार 🙏
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