ग़ज़ल- क्या चीज़ है ©रानी श्री
2122 2122 2122 212
गीत लिखने के हुनर को, मौसिकी क्या चीज़ है,
बेवफ़ाई को समझ क्या, आशिकी क्या चीज़ है।
फ़र्क क्या है इश्क दोबारा अगर हो जो कभी,
इश्क तो है इश्क़ पहला, आख़िरी क्या चीज़ है।
वो करे जो तंज हर पल, बिन समझ हर शेर पर,
अब उसे हम क्या बताएं, शायरी क्या चीज़ है।
अनकही कोई कहानी, कह रही है खामुशी,
कब समझ होगी उसे ये, बेरुखी क्या चीज़ है।
जो फ़िदा हैँ खूबसूरत, हुस्न के अंदाज़ पर,
आज उनको हम दिखा दें, सादगी क्या चीज़ है।
दर्द उनको क्या पता हो, प्यार के हर वार का,
दिल लगा कर देख लें वो, दिल्लगी क्या चीज़ है।
प्यार काली रात से बस, दाग जिनके चांद में,
कौन उनको ये दिखाए, चांदनी क्या चीज़ है।
है ख़ुदा भी हार बैठा, इश्क की हर जंग में,
जब ख़ुदा भी ना बचा तो, आदमी क्या चीज़ है।
आज रानी क्यों लगे सब, कुछ तुझे भी बेवजह,
गर सभी कुछ बेवजह तो, लाज़मी क्या चीज़ है।
~©रानी श्री
वाह बहुत सुंदर गज़ल 👌👌
जवाब देंहटाएंकमाल🙏
जवाब देंहटाएंअद्भुत गज़ल दीदी 👏👏
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रानी जी।👏👏💐
जवाब देंहटाएंवाह्ह्हह्ह्ह्ह 💐
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल ❤️❤️
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