और क्या है ©शिवाँगी सहर
कहा है जो सही है और क्या है,
यहाँ तेरी कमी है और क्या है।
कोई पूछे तो कह देते हैं इतना,
वो मेरी ज़िंदगी है और क्या है।
यकीं करते हो जिन बातों को सुनकर,
सभी कुछ अनकही है और क्या है।
अना में है कोई उसको बताओ,
तुझे बस चाहती है और क्या है।
मोहब्बत जो न समझे उनसे कहना,
महज़ एक दोस्ती है और क्या है।
है नाचे जिसकी धुन पर राधिका यूं,
किशन की बाँसुरी है और क्या है।
समझ कर आग जिससे भागते हो,
सुनो बस रोशनी है और क्या है।
न समझे हाल जो अहबाब कैसा,
यकीनन अजनबी है और क्या है।
कभी तो शोर था लहरों में उसकी,
बची अब ख़ामुशी है और क्या है।
©शिवाँगी सहर
वाह्ह्हह्ह्ह्ह.. बेहतरीन ग़ज़ल 💐💐
जवाब देंहटाएंJi bhaiya ... Bahut abhar apka 💐😊
हटाएंलाजवाब ग़ज़ल👏👏👏
जवाब देंहटाएंShukriya ... 😊
हटाएंक्या बात है बहुत खूबसूरत💐💐
जवाब देंहटाएंJi bht shukriya 😊😊
हटाएंAwwwsmmeee �� �� dushmanm����
जवाब देंहटाएंThnkuu 💐💐💐
हटाएंBahut sundar rachna ma'am👌👌
जवाब देंहटाएंAbhar apka 💐😊
हटाएंअप्रतिम मैम 👏🙏
जवाब देंहटाएंThnku 😊💐
हटाएंबेहद खूबसूरत बेहद भावपूर्ण गज़ल 💐💐💐
जवाब देंहटाएंDhanyawad didi ... ❤️💐🥰
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌👌
जवाब देंहटाएंJi behad shukriya apka ... 💐💕
हटाएंThnku so much ... 😊💐
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब 👌🙏
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