गीत- हिंदी ©गुंजित जैन

 लेखन-पठन का सार है, हिंदी समसि की धार है,

आषाढ़ की बौछार है, नित ज्ञान का भंडार है,

हर वेदनाएं यातनाएं शब्द में भरती सदा,

छंदों अलंकारों रसों का सौम्य सा संसार है।


हिंदी सरल स्पष्ट भावों से सजी भाषा प्रचुर,

यह भक्ति का सद्मार्ग है, हिंदी समूचा देव-पुर,

कविता कहानी कथ्य हैं, सुंदर सुशोभित शब्द हैं,

साहित्य के सौंदर्य की, है एक परिभाषा मधुर।

माँ भारती की प्रीत सी, हिंदी सुखद संगीत सी,

चहुँ ओर ही दिखता तिमिर, हिंदी सबल उजियार है।


मृदुभाषिनी मनभावनी, अभिव्यक्ति का माध्यम बनी,

हर दुक्ख पीड़ा के समय साथी सदा उत्तम बनी,

हिंदी समसि से जा मिली, नव कोंपलें बनकर खिली,

जब भी धरा यह शुष्क थी, जल वृष्टि की छम छम बनी। 

पहचान हिंदुस्तान की मनहर कथा यशगान की,

हिंदी जगत में भारतीयों का सहज विस्तार है।


सागर-सरोवर सी अगन, हिंदी असीमित सा गगन,

संदेश केवल नेह का, उपदेश से करती अमन,

माधुर्य में सब लीन हैं, ज्यों पोखरों में मीन हैं,

मस्तक झुका, यह कर मिला, हिंदी तुझे करता नमन।

आराधना, हर भावना, हिंदी हृदय की साधना,

गुंजित तिहारे प्राण में, नित श्वास का संचार है।


©गुंजित जैन

टिप्पणियाँ

  1. हिंदी का मान बढ़ाते हुईं सुंदर रचना

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  2. हिंदी को समर्पित अत्यंत उत्कृष्ट गीत सृजन 💐💐

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  3. हमारी मातृभाषा हिंदी के लिए अत्यंत उत्कृष्ट सृजन 👏👏👏💐💐💐

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  4. वाह्हहहहहहहहहह .... उत्कृष्ट सृजन गुंजित जी...... 🥰🥰🥰

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