हमारे नौ सेना.. जिंदाबाद ©परमानन्द भट्ट
सागरो के इन तटों पर,
सख्त पहरे हैं हमारे ।
शत्रु दल रोंदे बिना कब,
पोत ठहरे हैं हमारे ।
आकाश से पाताल तक,
विजय की गाथा लिखेंगे,
सुयश की प्रस्तर शिला पर,
चिन्ह गहरे हैं हमारे ।
भारती की आरती हम,
व्योम,जल,थल में उतारे ।
रोज अपलक देखते हैं
सिन्धु के सुन्दर नजारे ।
शत्रु दल थर्रा रहे है,
नाम सुन कर के हमारा ।
सुयश की प्रस्तर शिला पर,
चिन्ह गहरे हैं हमारे ।
©परमानन्द भट्ट
बहुत सुंदर, जयहिंद जयहिंद की सेना 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳💐💐💐
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सर🙏
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट 🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंUmda rachna Sirji 🙏🙏
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति भाव से ओत-प्रोत अत्यंत सुंदर और हृदय स्पर्शी रचना 💐💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण सृजन 🇮🇳🙏🏼💐💐
जवाब देंहटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंअद्भुत सृजन सर...... जय हिंद...
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन ग़ज़ल सर 🙏
जवाब देंहटाएं