गीत ©विपिन बहार
दर्द की क्या कहानी बताऊँ प्रिये ।
गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।
बंदगी को छुपाना कहाँ है सरल ।
प्यार क्या है बताना कहाँ है सरल ।।
बस तुझे लिख दिया,भाव में गढ़ दिया ।
और फिर तुम बिना कुछ गढ़ा ही नही ।।
गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।
जिंदगी से हमे कुछ गिला ही नही ।
चाहने से हमे कुछ मिला ही नही ।।
यों खुदी से लड़ा बेवजह हर घड़ी ।
बाद तेरे किसी से लड़ा ही नही ।।
गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।
दर्द को शायरी से सनम पी रहा ।
छोड़ तो तू गई पर तुझे जी रहा ।।
लाख आए गए चेहरे तो कई ।
दूसरा चेहरा तो पढ़ा ही नही ।।
गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।
©विपिन "बहार"
अत्यंत भावपूर्ण गज़ल 👏👏💐💐💐
जवाब देंहटाएंअद्भुत, सुंदर व भावपूर्ण गीत.... वाह्हहहहहहहहहह 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जवाब देंहटाएंअति सुंदर एवं भावपूर्ण गीत सृजन 💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण💐
जवाब देंहटाएंWaah bahut Sundar racha Sirji 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर 💐
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