गीत ©विपिन बहार

 दर्द की क्या कहानी बताऊँ प्रिये ।

गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।


बंदगी को छुपाना कहाँ है सरल ।

प्यार क्या है बताना कहाँ है सरल ।।

बस तुझे लिख दिया,भाव में गढ़ दिया ।

और फिर तुम बिना कुछ गढ़ा ही नही ।।

गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।


जिंदगी से हमे कुछ गिला ही नही ।

चाहने से हमे कुछ मिला ही नही ।।

यों खुदी से लड़ा बेवजह हर घड़ी ।

बाद तेरे किसी से लड़ा ही नही ।।

गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।


दर्द को शायरी से सनम पी रहा ।

छोड़ तो तू गई पर तुझे जी रहा ।।

लाख आए गए चेहरे तो कई ।

दूसरा चेहरा तो पढ़ा ही नही ।।

गीत यह तुम बिना अब बढ़ा ही नही ।।


©विपिन "बहार"

         

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