दिसंबर ©सौम्या शर्मा
लेखा-जोखा स्मृतियों का!
लाया है हर बार दिसंबर!!
हर पीड़ा और हर आंसू का!
मंथन है क्रमवार दिसंबर!!
कितने अपने छोड़ गये हैं!
कितने राहें मोड़ गये हैं!!
कितनों ने जोड़ा है हमको!
कितने हमको तोड़ गये हैं!!
लेखा-जोखा स्मृतियों का!
लाया है हर बार दिसंबर!!
हर एक भाव की पुनरावृत्ति!
भावों का संसार दिसंबर!!
कुछ पाया कुछ खोया भी है!
लम्हों को संजोया भी है!!
कुछ सीखा है कुछ बांटा है!!
हंसकर दिल फिर रोया भी है!!
प्रतिक्षण की स्मृति-गाथा बन!
लो आया फिर यार दिसंबर!!
लेखा-जोखा स्मृतियों का!
लाया है हर बार दिसंबर!!
©सौम्या शर्मा
बहुत खूबसूरत💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर दीदी🙏
जवाब देंहटाएं👌👌
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत बेहद भावपूर्ण कविता 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन 👏👏💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर 👌👌💐
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachna maam 👌👌
जवाब देंहटाएंसुन्दर 💐
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