हिंदुस्तान की ©सूर्यम मिश्र

 साजिशों में कैद है अब आन हिंदुस्तान की

रोज कम अब हो रही है शान हिंदुस्तान की


खूँ नहाई बेटियाँ है क्या बताऊँ दास्ताँ ।

खत्म होती जा रही मुस्कान हिंदुस्तान की


ये गगन पूरा भरा है ,आज खूनी बाज से

इक कबूतर में बसी है जान हिंदुस्तान की 


गाल पे गज़ले बनीं यूँ भाल तो है लापता 

बस भुलाई जा रही अब तान हिंदुस्तान की  


अब कि फूलों की जगह, काँटे हैं डेरे डाल के

हो रही कलियाँ हैं अब,बेजान हिंदुस्तान की 


यूँ कलमकारों,कलम का सर,कलम होने न दो 

है तुम्हारे हाथ अब पहचान हिंदुस्तान की  


©सूर्यम मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. वाह ग़ज़्ज़ब ...अद्भुत ❣️❣️❣️🙌

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  2. क्या कमाल ग़ज़ल हुई👏👏👏वाहहहहहह👏🙏

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  3. Kya baat h surya...atbut ..tumhare jaise yuva he desh ke liye sukhdayi h. Jarurai hai. Jai hind atbut. 👏👏👏

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  4. अप्रतिम! अद्भुत! हर बार की तरह

    जवाब देंहटाएं

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