तुम याद आये ©सरोज गुप्ता
जब लिये लालिमा गालों पे
रक्तिम आँचल को लहराये,
जब चली उषा मिलने रवि से
कलरव नभ में मधुरिम छाये,
तब श्याम से श्यामल संध्या में
मनमीत मेरे तुम याद आये ।।
सूरज की स्वर्ण किरण से जब
हिमशिखर स्वर्ण सम बन जाये,
अस्तित्व पिघल प्रिय बाहों में
आलिंगित होकर लरजाये,
तब श्याम से श्यामल संध्या में
मनमीत मेरे तुम याद आये ।।
बिखरा के सिंदूरी रंगत
बेला गोधूलि की जब छाये,
पंछी की टोली मस्त मगन
नीड़ को निज वापस आये,
तब श्याम से श्यामल संध्या में
मनमीत मेरे तुम याद आये ।।
सुरमई श्याम सी रातों में
तारों से अंबर भर जाये,
चाँद भ्रमण करते-करते
जब छत पर मेरे आ जाये,
तब श्याम से श्यामल संध्या में
मनमीत मेरे तुम याद आये ।।
©सरोज गुप्ता
Waah bahut sundar ma'am 👌🙏👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका तुषार 🙏🙏💐💐
हटाएंसुन्दर 💐
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद आपका भाई 🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत सुन्दर मैम🙏
जवाब देंहटाएंआभार आपका गुंजित 🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद आपका संजय जी 🙏🙏💐💐
हटाएंबहुत ही सुंदर वाऽऽह 👌👌👌💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका डियर 🙏🙏💐💐
हटाएंअति सुंदर एवं मनमोहक गीत 💐💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंसुंदर, मनहर सृजन.... वाह्हहहहहहहहहह 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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