किताब ©प्रशान्त
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
कहीं पे ख़ार , कहीं पे गुलाब होता है l
यहाँ नसीब के ज़रिए हिसाब होता है l
सफ़र में दूर करे जो सियाह अंधेरा ,
चराग़-ए-इल्म वही आफ़ताब होता है l
अमीर हो तो सुनो ऐब सैकड़ों पालो ,
ग़रीब हो तो हुनर भी ख़राब होता है l
मुझे सवाल परेशान कर नहीं सकते ,
अजी! ज़वाब मेरा लाज़वाब होता है l
मशाल कौन जलाए, किसे थमाए अब ?
लहूलुहान बड़ा इंकलाब होता है l
शराब प्यास बुझा दे , कबाब बिस्मिल्ला,
तलाश कौन करे क्या सराब होता है?
जह-ए-नसीब अगर ये समझ सके दुनिया,
'ग़ज़ल' का शेर मुकम्मल किताब होता है l
©प्रशान्त
क्या गजल हो गई👏👏👏
जवाब देंहटाएंअद्भुत👏👏👏
बहुत धन्यवाद आपका विपिन जी ... 😊😊🙏🙏
हटाएंलाजवाब ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंबेहद खूबसूरत गज़ल 👏👏👏💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद🙏💕🙏💕
हटाएंबेहतरीन अल्फ़ाज़ बेबाक गज़ल 💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन ग़ज़ल👏👏👏
जवाब देंहटाएंBahut Sundar Sirji 👌👌
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत गजल भैया 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
जवाब देंहटाएं