दोहा छल ©दीप्ति सिंह
जब छल जग से पाइए, रखिए नहीं छुपाय।
अनुभव सबसे बाँटिए, जनहित यही उपाय ।।
छले गए तो क्या हुआ, बड़ी नहीं यह बात ।
शिक्षा मिलती है हमें,जीवन से दिन-रात।।
जीवन अनुभव से भरा, गठरी लीजै खोल।
सीखें और सिखाइए, अनुभव हैं अनमोल।।
बीती बात बिसारिए,बाँध आस की डोर।
उजियारा जीवन करें, आई है नव भोर ।।
"दीया" बोले राम से, कृपा करें भगवान ।
शरणागत हम आपके,संबल करें प्रदान ।।
©दीप्ति सिंह 'दीया'
बहुत सुंदर, सारगर्भित, भावपूर्ण दोहावली....
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन मैम💐💐💐💐💐👌👌👌👌
हृदय तल से आभार एवं सस्नेहाभिवादन आपका प्रशान्त जी 🙏🏼💐💐😊
हटाएंसुंदर 👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंअतिशय आभार आपका आदरणीय 🙏🏼💐💐💐
हटाएंबहुत सुंदर सारगर्भित एवं सार्थक दोहावली 💐💐💐💐👏👏👏👏
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार एवं सप्रेम अभिवादन आपका आदरणीया 🙏🏼💐💐💐😊
हटाएंबहुत सुंदर दोहा 💐👌👌
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका प्रिय 💐💐💐😊
हटाएंUmda rachna ma'am 👌👌
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका तुषार 💐💐💐😊
हटाएंअत्यंत उत्तम, सारगर्भित दोहावली🙏
जवाब देंहटाएंहृदय तल से असंख्य धन्यवाद आपका गुंजित 💐💐💐💐😊
हटाएंसुन्दर दोहे 🙏
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आपका
हटाएंआदरणीय 💐💐🙏🏼