बहते अहसास ©सम्प्रीति
मेरे बागीचे में एक गुलाब है तुम सा,
जो नाराज होकर मुरझा जाता है,
खुश हो तो खिल के दिखाता है,
गुस्सा हो तो बिखर जाता है,
बिखर कर एक हफ्ते तक नहीं आता
बिल्कुल तुम्हारी तरह,
पर मैं हर रोज़ जाती हूँ,
उससे ना सही उसके पत्तों से बतियाती हूँ,
जैसे तेरे इंतज़ार में खुद को तस्वीरों से बहलाती हूँ,
हाँ बिल्कुल तुम सा है वो,
तेरे इतने दूर होने के बावजूद
तेरे साथ का अहसास कराता है।
-© सम्प्रीति
Atti Sundar Didi 😀👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुषार 🎈🎈🍫🍫
हटाएंबेहद खूबसूरत 💐💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीदी 🍫❣️
हटाएंधन्यवाद सर 🙏🍫
जवाब देंहटाएं👏👏👏👏सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गुंजित 🍫🍫🎈🎈
हटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम❣️❣️🍫🍫
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