गीत- मन धीर धरो ©संजीव शुक्ला
(तोटक छंद - आधारित )
चरण - 4, वर्ण - 12,
मात्रा -16, सगण × 4 (llS×4)
न अधीर रहो, मन धीर धरो,
निज साहस की अँगुरी पकरो l
पथ के परितापन से न डरो,
विजयी हठ ठान हिये निकरो ll
बिजुरी,कटु कर्ण पयोद बजे,
नभ ते बरु काल घटा गरजे l
पथ भ्रान्ति वृथा उपजे मन में,
निज लक्ष्य धरे, कबहूँ न तजे l
मग में विपदा बहु कंटक हो,
धरि धीरज संकट ते उबरो ll
गिरि उच्च खड़े मग ज्वाल बरै,
पथ रक्त भरे पद चिन्ह परै l
सरि धार प्रसार करे कितनौ,
विजयी पथ से कबहूँ न टरै l
विधि संतति सर्व समर्थ सदा,
निज पौरुष रंच विचार करो ll
विपदा नर से न बड़ी कबहूँ,
सब वेद पुरानन सार कहूँ l
निज के अवलम्ब सदा जन जे,
तिन होत सहाँय नरायन हूँ l
दृढ़ता लखि मेरु भओ रज सों,
विष कुम्भ भओ घट सोम भरो ll
©संजीव शुक्ला 'रिक्त'
बहुत ही उत्कृष्ट प्रेरणादायक 🙏🏻
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना 👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट भावपूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत अद्भुत तोटक छंद आधारित गीत🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट प्रेरणा दायक सृजन 👏👏👏💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंBahut sundar Geet Sirji🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रभावशाली एवं प्रेरक तोटक छंद 💐💐🙏🏼
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