एक लेखक जानता है ©रेखा खन्ना
एक लेखक जानता है कि कैसे उसे अपने शब्दों के बीजों को बो कर एक लहलहाती फसल को तैयार करना है। वो अपने ख्याल, ख्वाब, विचार, तर्क, वितर्क, आशाएँ, निराशाएंँ, भावनाएँ इत्यादि इत्यादि के बीज काग़ज़ रूपी खेत पर रोंपता है और अपनी कलम के सहारे धीरे धीरे इस फसल को तैयार करता है।
" एक लेखक जानता है "
एक लेखक जानता है
कैसे ज़ख्मों को शब्दों में ढालना है
स्याही बन दर्द सिसकता है पन्नों पर
हर पन्ना दिल की कहानी कहता है।
एक लेखक जानता है
कैसे दर्द को सुन्दरता का कवच पहनाना है
सीलता है घाव अपने, कलम में पिरो कर कच्चे धागे
वो ताउम्र उस एहसास को जिन्दा रखता है
जो भी उसका दिल जलाता है।
एक लेखक जानता है
कैसे यादों को पन्नों में संजोना है
कभी कड़वाहट तो कभी हंसी को बिखेर कर
हर पन्ने पर जीवित रखना है
कि जब भी पढ़ो तो लगे अरे! ये तो कल की ही बात थी।
एक लेखक जानता है
कैसे तारों को आसमान से तोड़ कर
सजनी की चुनरी में सजाना है
कैसे चाँदनी को शब्दों में कैद कर के
चाँद का रात भर जी जलाना है।
एक लेखक जानता है
अपने संग संग दूसरों के मन की स्थिति
वो यहाँ वहाँ नजरें गड़ाए
कुछ ना कुछ खोज ही लाता है अपने मतलब का
और फिर कहानी यां कविता बना फूंँक देता है उसमें प्राण
कि पढ़ने वाले को लगे कि घट गया सब आंँखों के सामने बन कर यथार्थ।
बहुत खूबसूरती से परिभाषित किया है आपने 💐💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंShukriya
हटाएंबहुत ही खूबसूरती से अपने मनोभाव को उकेरा है
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
Shukriya
हटाएंबहुत सुंदरता से आपने एक लेखक के चरित्र और मनोभावों को दर्शाया है... बहुत सुंदर 👏👏👏💐💐💐
जवाब देंहटाएंShukriya
हटाएंBahut sundar ma'am 🙏🙏
जवाब देंहटाएंShukriya
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