गीत- प्रतीक्षा ©प्रशान्त
कष्टकारी , क्षोभदायी , दीर्घकालिक वेदना l
रुग्ण तन, भयग्रस्त मानस, रक्तरंजित चेतना ll
शब्द तज नि:शब्द होती , लेखनी संतप्त है l
आर्तनादों में प्रकट यह यातना अभिशप्त है ll
काल-कवलित लुप्त वंशज, शोकमय परिवारजन ,
जग सकल निर्वात-सम है, मौन वाणी सुप्त है ll
ईश! रक्षा प्रियजनों की , मन समर्पित प्रार्थना l
रुग्ण तन, भयग्रस्त मानस, रक्तरंजित चेतना ll
सूक्ष्म विषधर जीव जिनसे , है जगत संताप में l
काल हाहाकार करता , रोष एकालाप में ll
प्राकृतिक अज्ञात कारण, क्यूँ मिली संसार को ,
सृष्टि की विध्वंशकारी आपदा अभिशाप में ll
चीत्कारों के श्रवण में , क्या करें आराधना ?
रुग्ण तन, भयग्रस्त मानस, रक्तरंजित चेतना ll
यह परीक्षा का समय है , ईश पर विश्वास हो l
उग्र परिवर्तन समय का , शांति से गृहवास हो ll
त्याग सामंजस्य मानव ,भीष्म-प्रण का यह समय,
क्या असम्भव है प्रतीक्षा , मृत्यु यदि आभास हो ?
जान लो कुछ ही समय अब शेष है यह यातना l
रुग्ण तन, भयग्रस्त मानस, रक्तरंजित चेतना ll
~ © प्रशांत
उत्कृष्ट गीत 👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंआभार सर 🙏🙏🙏💐💐💐
हटाएंअद्भुत अप्रतिम गीत🙏नमन
जवाब देंहटाएंआभार गुंजित जी...🙏🙏🙏💐💐💐
हटाएंBahut sundar Sirji 🙏👌🙏
जवाब देंहटाएंबहुत आभार तुषार जी 🙏🙏💐💐💐
हटाएंअद्भुत अद्वितीय गीत सृजन 👏👏👏💐💐💐
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत धन्यवाद माँ.. 💐💐💐🙏🙏🙏🙏
हटाएंअत्यंत उत्कृष्ट एवं संवेदनशील गीत सृजन 💐💐💐
जवाब देंहटाएं