मृत्यु ©अंशुमान मिश्र
इस धरती पर यूं आकर के,
इस मनुज योनि को पाकर के,
अपना कर्तव्य निभाकर के,
बस चलना है अविराम सखे!
यह मृत्यु मात्र विश्राम सखे..
यह नयन दीप बुझ जाएगा,
जब काल बुलावा लाएगा,
उसको निज गले लगाकर तब,
जाना होगा पर - धाम सखे!
यह मृत्यु मात्र विश्राम सखे..
चाहे धनाढ्य, चाहे निर्धन,
सुंदर-कुरूप, दुर्जन-सज्जन,
निष्पक्ष मृत्यु करती प्रदान..
सबको समान परिणाम सखे,
यह मृत्यु मात्र विश्राम सखे..
है अजय, अटल, है क्रूर मृत्यु,
रावण मद करती चूर मृत्यु,
इस जीवन से उस जीवन के..
है मध्य मार्ग का नाम सखे,
यह मृत्यु मात्र विश्राम सखे..
यह मृत्यु मात्र विश्राम सखे..
-©अंशुमान मिश्र
Umda rachna Bhai ❤️👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया तुषार भइया ❤️✨🙏
हटाएंअद्भुत अद्भुत🙏🙏नमन
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया गुंजित❤️🙏
हटाएंअप्रतिम भ्राता श्री...👏👏👏👏😍
जवाब देंहटाएंआभार भ्राता ❤️🙏
हटाएंअत्यंत संवेदनशील एवं उत्कृष्ट सृजन 💐💐
जवाब देंहटाएंआभार दीदी ❤️✨🙏
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हटाएंExcellent and Amazing Bhai❤️👌🙏
जवाब देंहटाएंThanks a lot brother 💙
हटाएंबहुत उत्कृष्ट 👌
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार मैम ✨🙏
हटाएंबहुत उत्कृष्ट 👌
जवाब देंहटाएंWahhhhh beautiful
जवाब देंहटाएंआभार दीदी ✨🙏
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