मृत्यु ©अंशुमान मिश्र

 इस  धरती  पर  यूं  आकर के,

इस मनुज योनि को पाकर के,

अपना   कर्तव्य  निभाकर  के,

बस चलना  है  अविराम  सखे!

यह  मृत्यु  मात्र  विश्राम  सखे..


यह  नयन  दीप बुझ जाएगा,

जब   काल  बुलावा  लाएगा,

उसको निज  गले लगाकर तब,

जाना  होगा  पर - धाम  सखे!

यह  मृत्यु  मात्र  विश्राम  सखे..


चाहे  धनाढ्य,  चाहे  निर्धन,

सुंदर-कुरूप, दुर्जन-सज्जन,

निष्पक्ष  मृत्यु  करती  प्रदान..

सबको समान  परिणाम  सखे,

यह  मृत्यु  मात्र  विश्राम  सखे..


है अजय, अटल,  है क्रूर  मृत्यु,

रावण  मद  करती   चूर  मृत्यु,

इस जीवन  से  उस जीवन के..

है  मध्य  मार्ग  का  नाम  सखे,

यह  मृत्यु  मात्र  विश्राम  सखे..


यह  मृत्यु  मात्र  विश्राम  सखे..


                   -©अंशुमान मिश्र

टिप्पणियाँ

  1. अप्रतिम भ्राता श्री...👏👏👏👏😍

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  2. अत्यंत संवेदनशील एवं उत्कृष्ट सृजन 💐💐

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